लखनऊ के शायर और अदीब
कुल: 97
इंशा अल्लाह ख़ान इंशा
- जन्म : मुर्शिदाबाद
- निवास : दिल्ली
- निधन : लखनऊ
लखनऊ के सबसे गर्म मिज़ाज शायर। मीर तक़ी मीर के समकालीन। मुसहफ़ी के साथ प्रतिद्वंदिता के लिए मशहूर। 'रेख़्ती' विधा की शायरी भी की और गद्द में रानी केतकी की कहानी लिखी
मीर तक़ी मीर
उर्दू के पहले बड़े शायर जिन्हें 'ख़ुदा-ए-सुख़न' (शायरी का ख़ुदा) कहा जाता है
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
18वीं सदी के बड़े शायरों में शामिल, मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन।
मोहम्मद रफ़ी सौदा
18वी सदी के बड़े शायरों में शामिल। मीर तक़ी 'मीर' के समकालीन
अब्दुल हलीम शरर
बीसवीं सदी के महत्वपूर्ण विद्वान,लेखक, अनुवादक,उपन्यासकार, नाटककार. लखनऊ की सामाजिक व सांस्कृतिक जीवन के मर्मज्ञ.
अम्बर बहराईची
विख्यात संस्कृत विद्वान, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।
असरार-उल-हक़ मजाज़
अग्रणी एवं प्रख्यात प्रगतिशील शायर, रोमांटिक और क्रांतिकारी नज़्मों के लिए प्रसिद्ध, ऑल इंडिया रेडियो की पत्रिका “आवाज” के पहले संपादक, मशहूर शायर और गीतकार जावेद अख़्तर के मामा
हैदर अली आतिश
मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन, 19वीं सदी की उर्दू ग़ज़ल का रौशन सितारा।
हसरत मोहानी
स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य। ' इंक़िलाब ज़िन्दाबाद ' का नारा दिया। कृष्ण भक्त , अपनी ग़ज़ल ' चुपके चुपके, रात दिन आँसू बहाना याद है ' के लिए प्रसिद्ध
इमाम बख़्श नासिख़
लखनऊ के मुम्ताज़ और नई राह बनाने वाले शायर/मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन
इरफ़ान सिद्दीक़ी
सबसे महत्वपूर्ण आधुनिक शायरों में शामिल, अपने नव-क्लासिकी लहजे के लिए विख्यात।
जुरअत क़लंदर बख़्श
अपनी शायरी में महबूब के साथ मामला-बंदी के मज़मून के लिए मशहूर, नौजवानी में नेत्रहीन हो गए
मिर्ज़ा सलामत अली दबीर
मुंशी सज्जाद हुसैन
पंडित दया शंकर नसीम लखनवी
19वीं सदी में लखनऊ के अग्रणी शायरों में से एक, प्रख्यात मसनवी गुलज़ार-ए-नसीम के रचयिता
वज़ीर अली सबा लखनवी
यगाना चंगेज़ी
प्रमुख पूर्वाधुनिक शायर जिन्होंने नई ग़ज़ल के लिए राह बनाई/मिर्ज़ा ग़ालिब के विरोध के लिए प्रसिद्ध
आसी उल्दनी
लखनऊ के लोकप्रिय शायर और विद्वान, दाग़ और नातिक़ गुलावठी के शागिर्द. ग़ालिब और हाफ़िज़ के कलम की व्याख्यान की और अनुवाद किया. इसके अलावा उर्दू की क़दीम शायरात (प्राचीन कवयित्रियों) का तज़्किरा भी सम्पादित किया
अली जव्वाद ज़ैदी
प्रसिद्ध शायर और आलोचक, अपनी आलोचना की पुस्तक ‘दो अदबी स्कूल’ के लिए भी जाने जाते हैं
अमानत लखनवी
अपने नाटक 'इन्द्र सभा' के लिए प्रसिद्ध, अवध के आख़िरी नवाब वाजिद अली शाह के समकालीन
आरिफ़ लखनवी
बशीर फ़ारूक़ी
भारत भूषण पन्त
भारत में समकालीन ग़ज़ल के प्रमुख शायर
जलाल लखनवी
लखनऊ और रामपूर स्कूल के मिले-जुले रंग में शायरी के लिए माशूहर उत्तर- क्लासिकी शायर
मीर कल्लू अर्श
महान उर्दू शायर मीर तक़ी मीर के बेटे
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
लखनऊ में क्लासिकी ग़ज़ल के प्रमुख उस्ताद शायर
मुनव्वर राना
लोकप्रिय शायर, मुशायरों का ज़रूरी हिस्सा।
नाज़िश प्रतापगढ़ी
सफ़ी लखनवी
क्लासिकी के आख़िरी प्रमुख शायरों में अहम नाम। व्यापक लोकप्रियता प्राप्त की
सफ़िया अख़्तर
साक़िब लखनवी
प्रमुख उत्तर कलासिकी शायर / अपने शेर ‘बड़े ग़ौर से सुन रहा था ज़माना...’ के लिए मशहूर